Meethi Meethi Sardi Hai

Meethi Meethi Sardi Hai

Mohammed Aziz

Длительность: 7:30
Год: 1986
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Текст песни

मिठी मिठी सर्दी है भीगी भीगी रातें हैं
ऐसे में चले आओ फागुन का महीना है
मौसम मिलन का है अब और ना तड़पाओ
सर्दी के महीनों में हो माथे पे पसीना है
मिठी मिठी सर्दी है

कुर्बान जाऊं उस दिलरुबा के
कुर्बान जाऊं उस दिलरुबा के
पलकों पे रखे जमी से उठा के
पिया मेरे दिल में कहीं तेरे सिवा कोई नहीं
धोखा मुझे देना ना देना ना कभी
इस नूर की वादी में ऐ यार तेरा चेहरा
सहकर उठा जा, कुदरत का नगिना है\
मिठी मिठी सर्दी है

जब से सनम हम तेरे हुए हैं
जब से सनम हम तेरे हुए हैं
तेरी मोहब्बत में खोए हुए हैं
आंखें मेरी देखे जिधर बस तू ही तू है उधर
कभी मेरी आंखों से खोना खोना ना कभी
बर्फीली घटाओं में क्या चांदनी बिखरी है
ऐसे में जुदा रहकर जीना कोई जीना है
मौसम मिलन का है

नरगीसी आंखें मयखाना जैसे
नरगीसी आंखें मयखाना जैसे
सच होगा लेकिन मनु में कैसे
मुझे तो नशा आ गया देखो अजी रहम-ए-हया
पिया मेरे टूटे रो टूटे ना टूटे ना कभी
दुनिया में रहे साकी हाय तेरा मयखाना
दो गंट सहीं लेकिन इन आंखों से पीना है
ओ मिठी मिठी सर्दी है भीगी भीगी रातें हैं
ऐसे में चले आओ फागुन का महीना है
ओ मिठी आह मिठी सर्दी है, आह मौसम मिलन का है