Zindagi Bhar Nahi Bhoolegi

Zindagi Bhar Nahi Bhoolegi

Mohammed Rafi

Альбом: Barsaat Ki Raat
Длительность: 4:06
Год: 1960
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Текст песни

ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात
एक अंजान हसीना से मुलाकात की रात
ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी

हाय वो रेशमी ज़ुल्फ़ों से बरसता पानी
हाय वो रेशमी ज़ुल्फ़ों से बरसता पानी
फूल से गालों पे रुकने को तरसता पानी
दिल में तूफ़ान उठाते हुए
दिल में तूफ़ान उठाते हुए जज़बात की रात
ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी
डर के बिजली से अचानक वो लिपटना उसका
और फिर शर्म से बलखाके सिमटना उसका
कभी देखी न सुनी ऐसी हो
कभी देखी न सुनी ऐसी तिलिस्मात कि रात
ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी

सुर्ख आंचल को दबाकर जो निचोड़ा उसने
सुर्ख आंचल को दबाकर जो निचोड़ा उसने
दिल पे जलता हुआ एक तीर सा छोड़ा उसने
आग पानी में लगाते हुए
आग पानी में लगाते हुए हालात कि रात
ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी

मेरे नग़्मों में जो बसती है वो तस्वीर थी वो
नौजवानी के हसीं ख़्वाब की ताबीर थी वो
आसमानों से उतर आई हो ओ
आसमानों से उतर आई थी जो रात की रात
ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात
ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी