Teri Payal Baji Jahan
Mohd. Aziz | Anuradha Paudwal
7:06समधी तो है मोटा ताजा, समधन फूल की डाली अरे मुँह में पानी आ गया, देख के ये हरियाली आई आई दौड़ी दौड़ी, चने के खेत में खेत में, समधी तेरी घोड़ी चने के खेत में समधी तेरी घोड़ी चने के खेत में आई दौड़ी दौड़ी, चने के खेत में समधन तेरी घोड़ी, चने के खेत में समधी तेरी घोड़ी चने के खेत में खेती देखी हरी-भरी और तबीयत जो ललचाई लाज-शर्म सब छोड़ के, भागी-भागी आई चढ़ती है घोड़ी, चने के खेत में समधन तेरी घोड़ी, चने के खेत में समधन तेरी घोड़ी, चने के खेत में चढ़ती है घोड़ी, चने के खेत में समधन तेरी घोड़ी, चने के खेत में समधन तेरी घोड़ी, चने के खेत में मेरी समधन तो भोली-भाली है समधी खुद ही बना सवाली है लालची है बड़ा मुआ समधी जिसको देखा, फिसल गया समधी ताकना-झांकना है काम उसका और दिल ठीक ही है, नाम उसका पहुंची समधन बेचारी जब पनघट था वहाँ पर छुपा नटखट सामने आके रोक ली राहें और भरने लगा ठंडी आहें बइयां जो मरोड़ी, बइयां जो मरोड़ी चने के खेत में चूड़ी उसने तोड़ी, चने के खेत में चूड़ी उसने तोड़ी, चने के खेत में आई दौड़ी दौड़ी, चने के खेत में समधी तेरी घोड़ी, चने के खेत में समधी तेरी घोड़ी, चने के खेत में ऐसा समधन को भा गया समधी उसके दिल में समा गया समधी तीर नजारों का, दिल के पार हुआ इश्क़ का भूत जब सवार हुआ पानी लाने का तो बहाना था उसको समधी से मिलने जाना था बनके बैठी है जो बड़ी भोली पूछो किसने भिगोई है चोली पूछो तो इन झुकी निगाहों से हो के आई है किसकी राहों से गई थी निगोड़ी, गई थी निगोड़ी चने के खेत में, गगरी उसने फोड़ी, चने के खेत में गगरी उसने फोड़ी, चने के खेत में गई थी निगोड़ी, चने के खेत में समधन तेरी घोड़ी, चने के खेत में समधन तेरी घोड़ी, चने के खेत में हो क्या खुराफात ये लगाई है समधी-समधन की क्या लड़ाई है छोड़ो समधी को, छोड़ो समधन को देखो दूल्हे को, देखो दुल्हन को दूल्हा राजा नवाब हो जैसे,और दुल्हन गुलाब हो जैसे दोनों आबाद हों, फले-फूले चाँद-सूरज नहीं, फलक छू लें ईद हो दिन तो सब दीवाली हो इनकी झोली कभी ना खाली हो इनकी झोली कभी ना खाली हो मिले इनकी जोड़ी, चने के खेत में जिए इनकी जोड़ी, चने के खेत में समधी तेरी घोड़ी, चने के खेत में समधन तेरी घोड़ी, चने के खेत में