Kahin Door Jab Din Dhal Jaye
Mukesh
4:02ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए-ज़िंदगी नहीं जलता हुआ दिया हूँ मगर रोशनी नहीं ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए-ज़िंदगी नहीं जलता हुआ दिया हूँ मगर रोशनी नहीं वो मुदतें हुई हैं किसी से जुदा हुए वो मुदतें हुई हैं किसी से जुदा हुए लेकिन ये दिल की आग अभी तक बुझी नहीं ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म आने को आ चुका था किनारा भी सामने आने को आ चुका था किनारा भी सामने खुद उसके पास ही मेरी नैया गई नहीं ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म होंठों के पास आए हंसी क्या मजाल है होंठों के पास आए हंसी क्या मजाल है दिल का मामला है कोई दिल्लगी नहीं ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म ये चाँद ये हवा ये फ़िजा सब हैं मद-मस्त ये चाँद ये हवा ये फ़िजा सब हैं मद-मस्त जब तुम नहीं तो इन में कोई दिलकशी नहीं ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए-ज़िंदगी नहीं जलता हुआ दिया हूँ मगर रोशनी नहीं ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए-ज़िंदगी नहीं