Dil Pe Zakham Khate Hain
Nusrat Fateh Ali Khan
4:45तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी महोब्बत की राहो में आकर तो देखो तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी महोब्बत की राहो में आकर तो देखो महोब्बत की राहो में आकर तो देखो तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी महोब्बत की राहो में आकर तो देखो तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी महोब्बत की राहो में आकर तो देखो महोब्बत की राहो में आकर तो देखो तड़पने मेरे ना फिर तुम हसोगे तड़पने मेरे ना फिर तुम हसोगे कभी दिल किसी से लगा कर तो देखो तड़पने मेरे ना फिर तुम हसोगे कभी दिल किसी से लगा कर तो देखो तड़पने मेरे ना फिर तुम हसोगे कभी दिल किसी से लगा कर तो देखो तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी तुम्हें दिल्लगी दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी तुम्हें दिल्लगी दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी तुम्हें दिल्लगी दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी होंठो के पास आये हँसी क्या मजाल है दिल का मुआमला है कोई दिल लगी नहीं तुम्हे दिल्लगी जख्म पे जख्म खा के जी जख्म पे जख्म खा के जी अपने लहू के घूंट पी अपने लहू के घूंट पी आह ना कर लबो को सी इश्क है दिल लगी नहीं मुहब्बत की रहो में आ कर तो देखो वाफाओ की हमसे तवक्को नहीं है वाफाओ की हमसे तवक्को नहीं है मगर एक बार आजमा कर तो देखो मगर एक बार आजमा कर तो देखो ज़माने को अपना बना कर तो देखा ज़माने को अपना बना कर तो देखा हमे भी तुम अपना बना कर तो देखो ज़माने को अपना बना कर तो देखा हमे भी तुम अपना बना कर तो देखो खुदा के लिए छोड़ दो अब ये पर्दा खुदा के लिए छोड़ दो अब ये पर्दा खुदा के लिए छोड़ दो अब ये पर्दा खुदा के लिए छोड़ दो अब ये पर्दा के आज हम तुम नहीं गैर कोई के आज हम तुम नहीं गैर कोई शबे वस्ल भी है हिजाब इस कदर क्यू शबे वस्ल भी है हिजाब इस कदर क्यू जरा रुख से आँचल उठा कर तो देखो शबे वस्ल भी है हिजाब इस कदर क्यू जरा रुख से आँचल उठा कर तो देखो