Kashish
Ashish Bhatia
3:14ओ में ओ में तडपाए मुझे तेरी सभी बातें एक बार आय दीवानी झूठा ही सही प्यार तो कर मैं भुला नहीं हसीन मुलाक़ातें बेचैन करके मुझको मुझसे यूँ ना फेर नज़र सर्दी की रातों में हम सोए रहे एक चादर में हम दोनो तन्हा हो ना कोई भी रहे इस घर में ज़रा ज़रा महेकता है बहेकता हैं आज तो मेरा तन बदन मैं प्यासा हूँ मुझे भर ले अपनी बाहों में ज़रा ज़रा महेकता है बहेकता हैं आज तो मेरा तन बदन मैं प्यासा हूँ मुझे भर ले अपनी बाहों में (बाहों में) यूँ ही बरस बरस काली घटा बरसे हम यार भीग जाएँ इस चाहत की बारिश में तेरी खुली खुली लटों को सुलझाए तू अपनी उँगलियों से मैं तो हूँ इसी ख्वाहिश में सर्दी की रातों में हम सोये रहें है एक चादर में हम दोनों तन्हाँ हो ना कोई भी रहे इस घर में ज़रा ज़रा महेकता है बहेकता हैं आज तो मेरा तन बदन मैं प्यासा हूँ मुझे भर ले अपनी बाहों में ज़रा ज़रा महेकता है बहेकता हैं आज तो मेरा तन बदन मैं प्यासा हूँ मुझे भर ले अपनी बाहों में ज़रा ज़रा महेकता है बहेकता हैं आज तो मेरा तन बदन मैं प्यासा हूँ मुझे भर ले अपनी बाहों में