Sham-E-Gham Ki Kasam
Pankaj Kikani
3:09मुझको इस रात की तन्हाई में आवाज़ न दो आवाज़ न दो, आवाज़ न दो जिसकी आवाज़ रुला दे मुझे वो साज़ न दो वो साज़ न दो आवाज़ न दो रौशनी हो न सकी दिल भी जलाया मैंने तुमको भुला भी नहीं लाख भुलाया मैंने मैं परेशा हूँ मुझे और परेशा न करो आवाज़ न दो इस कदर जल्द किया मुझसे किनारा तुमने कोई भटकेगा अकेला ये न सोचा तुमने छुप गए हो तो मुझे याद किया न करो आवाज़ न दो मुझको इस रात की तन्हाई में आवाज़ न दो आवाज़ न दो आवाज़ न दो जिसकी आवाज़ रुला दे मुझे वो साज़ न दो वो साज़ न दो आवाज़ न दो