Ganga Jee Mein Dubki
Ram Avtar Sharma | Rajneesh Sharma | Shivani Chanana
5:33हरिद्वार में कांवड़ियों का मेला लागे भारी दर्शन करने दूर-दूर से आते नर-नारी बोलो शंकर भगवान की जय अब देखो सिलबट्टे से काम न चलेगा कुंडी सोटा उठा ले, मेरी भांग का घोटा ला ले भोलेनाथ, मेरी तो भांग घोटते-घोटते उंगलियां भी सिगी हो गई अरे छोरे, कांवड़ियों पे भांग घोटा ले तू कुंडी सोटा ठाले, मेरी भांग का घोटा ला ले भांग बिना मेरा रंग जमे ना अंग-अंग में भांग चढ़ गई भांग बिना मेरा रंग जमे ना अंग-अंग में भांग चढ़ गई भांग बिना मेरा रंग जमे ना अंग-अंग में भांग चढ़ गई शादी करवाई थी, तू मेरी सेवा करावेगी दोनों वक्त शाम-सवेरे भांग घोट मन पिलावेगी भांग में प्यार बढ़ावेगी मेरी दुखे नरम कड़ाई भोले चेहरे की लाली झड़ गई मेरी दुखे नरम कड़ाई भोले चेहरे की लाली झड़ गई भांग बिना मेरा रंग जमे ना अंग-अंग में भांग चढ़ गई भांग बिना मेरा रंग जमे ना अंग-अंग में भांग चढ़ गई शादी तो करवाई थी, कि तू मेरी सेवा उठावेगी दोनों वक्त, शाम-सवेरे, धागा गोद बन पिलवाएगी शादी तो करवाई थी, कि तू मेरी सेवा उठावेगी दोनों वक्त, शाम-सवेरे, धागा गोद बन पिलवाएगी इब बांग पिलाने पर नाटे भला क्यों करै पूरा पार्टी? क्यूं सहेम राद्द सी छिड़ गई भांग बिना मेरा रंग जमेना अंग-अंग में भांग चढ़ गई भांग बिना मेरा रंग जमेना अंग-अंग में भांग चढ़ गई मेरी दुखे नरम कड़ाई भोले चेहरे की लाली झरगी मेरी दुखे नरम कड़ाई भोले चेहरे की लाली झरगी तू 80 बरस का बुड्ढा से, मेरी उम्र तक खेलन गावंन की मेरी उम्र तक खेलन गावंन की मेरी उम्र तक खेलन गावंन की तू चितवा दूध-दही पी ले, मैं भांग तने ना पियावनी की भांग तने ना पियावनी की भांग तने ना पियावनी की तू 80 बरस का बुड्ढा से, मेरी उम्र तक खेलन गावंन की दूध-दही पी ले, मैं भांग तने ना पियावनी की अरे, मनै खूब लाल यो घोटा तू भर-भर पी गया लौटा तेरी सारी भांग से पड़ गई मेरी दुखे नरम कड़ाई भोले चेहरे की लाली झरगी मेरी दुखे नरम कड़ाई भोले चेहरे की लाली झरगी भांग बिना मेरा रंग जमेना अंग-अंग में भांग चढ़ गई भांग बिना मेरा रंग जमेना अंग-अंग में भांग चढ़ गई ओऐ ओ ओ ओ ओ अरे मनै खूब लाल यो घोटला मैं तड़के आप पी लूंगा तू आज घोट के पिला दे मुझे घोट के पिला दे तू आज घोट के प्याला दे यो कुदरत का प्रसाद है भांगिया छह बार मने पिला दे छह बार पिला दे, मैं तड़के आप पी लूंगा आज घोट के प्याले जो कुदरत का प्रसाद हैं छह बार मने पिला दे भांग गोरा जब पिलाई अरे बड़ी मस्ती कमल सिंह आई दून कांवड़ियों के लड़गी भग बिना मेरा रंग जमे ना अंग-अंग में भग चढ़ गई भग बिना मेरा रंग जमे ना अंग-अंग में भग चढ़ गई भग बिना मेरा रंग जमे ना अंग-अंग में भग चढ़ गई ओ ए ना कुंडी सोटा ठालूं तेरी भांग के घोटा लाऊं तने बाण रोज की बढ़ गई है मेरी दुखे नरम कड़ाई भोले चेहरे की लाली झर गई मेरी दुखे नरम कड़ाई भोले चेहरे की लाली चढ़ गई मेरी दुखे नरम कड़ाई भोले चेहरे की लाली चढ़ गई ओ ए ना कुंडी सोटा ठालूंखा माँ खा जींद पे आड़ गी भग बिना मेरा रंग जमे ना अंग-अंग में भग चढ़ गई यह दुखे नरम कलाई भोले चेहरे की लाली जल गई भग बिना मेरा रंग जमे ना अंग-अंग में भग चढ़ गई यह दुखे नरम कलाई भोले चेहरे की लाली जल गई भग बिना मेरा रंग जमे ना अंग-अंग में भग चढ़ गई यह दुखे नरम कलाई भोले चेहरे की लाली जल गई