Ram Jai Jai Ram Main To Ram Hi Ram Pukarun
Ravindra Jain
4:49बाहर जूंझे राक्षस वानर भीतर हो रहे मंत्र उच्चार भीतर हो रहे मंत्र उच्चार लांघ के सिंध जो आ गए लंका ना उनको दुर्लभ कोई द्वार ना उनको दुर्लभ कोई द्वार हाथन से हथियारन से हाथन से हथियारन से कयी कारण से रही एक ए विकार यज्ञ हुआ यह पुण्य तो जानों अजेय हुआ ये लंकेश कुमार यज्ञ हुआ यह पुण्य तो जानों अजेय हुआ ये लंकेश कुमार यज्ञ की अग्नि बुझाए बुझाए पावन यज्ञ अशुद्ध करे पावन यज्ञ अशुद्ध करे यज्ञ का हेत मिटावन हेतु निरंतर सैनिक युद्ध करे निरंतर सैनिक युद्ध करे साधक का आराधक का पथ साधक का आराधक का पथ बाधक बन अवरुद्ध करे आसन से नहीं डोले रथीन्द्र उसे कितना ही क्रुद्ध करे हे आसन से नहीं डोले रथीन्द्र उसे कितना ही क्रुद्ध करे