Dhun Laagi
Sachin-Jigar, Siddharth Amit Bhavsar, & Niren Bhatt
मिल गए हैं हम यहाँ पे कैसे दो अनजाने मिल रहें हों जैसे ये अनजानी तो नहीं हैं बातें कि सदियों से हो रही हों जैसे क्या है ये? क्यूँ है ये? 'गर है ये तो है ये(क्या है ये? क्यूँ है ये? 'गर है ये तो है ये) ये इत्तिफ़ाक़ है या है यही लिखा(ये इत्तिफ़ाक़ है या है यही लिखा) ये इत्तिफ़ाक़ है या है यही लिखा(ये इत्तिफ़ाक़ है या है यही लिखा) या है ग़लतफ़हमी? तो अब यही सही(या है ग़लतफ़हमी? तो अब यही सही) या है ग़लतफ़हमी? तो अब यही सही(या है ग़लतफ़हमी? तो अब यही सही) उ उ उ उ उ उ उ उ उ उ उ उ उ उ उ उ उ उ (हो हो हो हो ) बोल पाएँगे क्या हाल दिल का सोचने लगे सवाल कैसे साथ हम रहेंगे क्या हमेशा कि डर है मीठी उलझनों के जैसे क्या है ये? क्यूँ है ये? जो है ये सो है ये(क्या है ये? क्यूँ है ये?जो है ये सो है ये) ये इत्तिफ़ाक़ है या है यही लिखा(ये इत्तिफ़ाक़ है या है यही लिखा) ये इत्तिफ़ाक़ है या है यही लिखा(ये इत्तिफ़ाक़ है या है यही लिखा) या है ग़लतफ़हमी? तो अब यही सही(या है ग़लतफ़हमी? तो अब यही सही) हाँ, या है ग़लतफ़हमी? तो अब यही सही(या है ग़लतफ़हमी? तो अब यही सही) या है ग़लतफ़हमी? या है ग़लतफ़हमी(या है ग़लतफ़हमी? या है ग़लतफ़हमी) या है ग़लतफ़हमी? तो अब यही सही(या है ग़लतफ़हमी? तो अब यही सही)