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Vijayashree Samant - Rimjhim Gire Sawan | Скачать MP3 бесплатно
Rimjhim Gire Sawan

Rimjhim Gire Sawan

Vijayashree Samant

Длительность: 3:35
Год: 2023
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Текст песни

रिम-झिम गिरे सावन
सुलग सुलग जाये मन
भीगे आज इस मौसम में
लगी कैसी ये अगन
रिम-झिम गिरे सावन
सुलग सुलग जाये मन
भीगे आज इस मौसम में
लगी कैसी ये अगन
रिम-झिम गिरे सावन

जब घुंघरूओं सी बजती हैं बुँदे
अरमां हमारे पलके ना मूंदे
जब घुंघरूओं सी बजती हैं बुँदे
अरमां हमारे पलके ना मूंदे
कैसे देखे सपने नयन
सुलग सुलग जाये मन
भीगे आज इस मौसम में
लगी कैसी ये अगन
रिमझिम गिरे सावन

मेहफ़िल में कैसे केह दे किसी से
दिल बंध रहा है किस अजनबी से
मेहफ़िल में कैसे केह दे किसी से
दिल बंध रहा है किस अजनबी से
हाय करे अब क्या जातन
सुलग सुलग जाये मन
भीगे आज इस मौसम में
लगी कैसी ये अगन
रिम-झिम गिरे सावन
सुलग सुलग जाये मन
भीगे आज इस मौसम में
लगी कैसी ये अगन
रिम-झिम गिरे सावन