Downers At Dusk
Talha Anjum
4:16माफी तलाफी की काफ़ी पर आई काम नए जी आप वो लेती मेरा नाम नए Pills pop, i let the weed smoke Sometimes just talking does not make the pain go तू ही आग तू हे उसपे पार्टी बारिश में वो खाली हवेली जिसकी तू अकेली वारिस तू ही चाओं, तू ही धूप, रंगों के सात रूप तू जितनी खूबसूरत यूयेसेस से कही’न ज़्यादा दूउर में लिखना चोर दूं जो तेरे बारे में क़लम टोर दूं और तू सियाही में बसा रह हंसा रहे ज़माने को खुद से परेशान वो पर्हती थी किताबें में पर्हता हूँ इंसान इंसान भी क्या चीज़ है ऐक में वफ़ा नए और दूसरे को वफ़ा की उमीद है इंसान भी क्या चीज़ है में कल गुज़रा फिर उधर से तो याद आगाई चीज़ ऐक तेरा नंबर नए है योउ लेफ्ट थे सिटी आंड योउ’रе गॉन बात करने को है बॅस ये मिकरोफ़ोनе वोही कगाज़, वोही क़लम, लहजे सख़्त, दिल नरम बद्ड बख़्त बॅस करो उदासी हर तरफ झूते तेरे भरम किस बात पे तू बररहैंम पर हम क्यूँ अभी stuck like a jam on a one way But someday तू समझ जाएगी दूउर होके हॅम से के हॅम में वो क़रार नए, पहले वाली बात नए तुझे किया आज़ाद या दी है खुद को सज़ा लेकिन दिल के मोहल्ले में अब तेरा मकान नए आज फिर तू आए नए, याद तेरी आई थी बेवाज़ा ही बेवफा से, बेपनाह उमीद जो लगाई थी, एम्म आज फिर तू इक गुमान, आज फिर तू शाेरी सोचा था तू आएगी टोर के वो रस्में सारी दूण्या की रिवाएटी बुत गोद डॅमिट गर्ल आज फिर तू आए नए, याद तेरी आई थी बेवाज़ा ही बेवफा से, बेपनाह उमीद जो लगाई थी राज़ी दिल तो रज़ामंद हम क्यूँ नही नई तापी पिल, गाने लिखे ये शयूर भाई ये अज़ीज़ी है बाघी इसको कहते हम घुरूुर् नई दिल ए मघरूर तू भी खूब तू हराम देना सूद फिर I’m just a text away, itna bhi duur nahi Feels like yesterday सच का सबूत नहीं तू ही ज़वाल मेरा, तू ही है उरूज़ आय! लोगों से पूछ ये क़लम लिखता झूट नई घूम देकर फिर दिलासे केसे? मूऊ पे तस्सलियान तो दूण्या मई तमाशे केसे? हम आज भी कहते, ना कोई रक़ीब, ना हरीफ हम थे घरीब नज़ाने काटी हैं वो रातें केसे? क़लम चोर या क़लम टॉर, आ वज़न तोल नई हाज़ाम शोर, ये आज़म खोज, तू सुराँघ खोद तरज़ू ही नई जो टोलेगा ये डज़न बोल तू रक़म सोच इन लफ़्ज़ों की, आजा ज़ख़्म तोल इंसान भी काइया चीज़ है एक मई वफ़ा नई और दूसरे को वफ़ा की उमीद है इंसान भी काइया चीज़ है झूट की सज़ा नई तो तोहमतें लगाने पे यहाँ ढील है तू जेसे रहमत, तू ही हूर, तू ही नूवर, कोहिनूर तू ही साया, तू ही धूप, तू फितूर ये फुटूउर तू इतनी खुउबसूरत क मई लिखने मई मजबूर बदल सिरहाना, किउन के दूउर, तू ने तो आना नई खुदकूश ज़माना, ये एक गाना कोई फसाना नई लिकदें अफ़साआने तुझ पे लेकिन.. आज फिर तू आए नए, याद तेरी आई थी बेवाज़ा ही बेवफा से, बेपनाह उमीद जो लगाई थी, एम्म आज फिर तू इक गुमान, आज फिर तू शाेरी सोचा था तू आएगी टोर के वो रस्में सारी दूण्या की रिवाएटी बुत गोद डॅमिट गर्ल आज फिर तू आए नए, याद तेरी आई थी बेवाज़ा ही बेवफा से, बेपनाह उमीद जो लगाई थी