Janam Janam
Pritam
3:58वो रंग भी क्या रंग है मिलता ना जो तेरे होठ के रंग से हुबहू वो खुशबू क्या खुशबू ठहरे ना जो तेरी सांवरी जुल्फ के रूबरू तेरे आगे ये दुनिया है फीकी सी मेरे बिन तू ना होगी किसी की भी अब ये ज़ाहिर सरेआम है ऐलान है जब तक जहाँ में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू जब तक जहाँ में मेरा नाम है तब तक मेरे नाम तू जब तक जहाँ में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू जब तक जहाँ में मेरा नाम है तब तक मेरे नाम तू उलझन भी हूँ तेरी उलझन का हल भी हूँ मैं थोड़ा सा जिद्दी हूँ थोड़ा पागल भी हूँ मैं बरखा बिजली बादल झूठे झूठी फूलों की सौगातें सच्ची तू है सच्चा मैं हूँ सच्ची अपने दिल की बातें दस्तख़त हाथों से हाथों पे कर दे तू ना कर आँखों पे पलकों के परदे तू क्या ये इतना बड़ा काम है ऐलान है जब तक जहाँ में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू जब तक जहाँ में मेरा नाम है तब तक मेरे नाम तू जब तक जहाँ में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू जब तक जहाँ में मेरा नाम है तब तक मेरे नाम तू मेरे ही घेरे में घूमेगी हर पल तू ऐसे सूरज के घेरे में रहती है धरती ये जैसे पाएगी तू खुदको ना मुझसे जुदा तू है मेरा आधा सा हिस्सा सदा टुकड़े कर चाहे खाबों के तू मेरे टूटेंगे भी तू रहने हैं वो तेरे तुझको भी तो ये इल्हाम है ऐलान है (?)