Wadiyan Wadiyan
Bhupinder Singh
4:15सूरमाई शाम के उजालो से जब भी सज-धज के रात आती है बेवफा बेरहेम और बेदर्दी जाने क्यूँ तेरी याद आती है सूरमाई शाम के उजालो से जब भी सज-धज के रात आती है बेवफा बेरहेम और बेदर्दी जाने क्यूँ तेरी याद आती है सूरमाई शाम के उजालो से इस जवानी में क्या सज़ा पाई रेशमी सेज हाए तन्हाई इस जवानी में क्या सज़ा पाई रेशमी सेज हाए तन्हाई सोख जज़्बात ले है अंगड़ाई आँखें बोझल है नींद हरज़ाई तेरी तस्वीर तेरी परच्छाई देके आवाज़ फिर बुलाती है सूरमाई शाम के उजालो से जब भी सज-धज के रात आती है बेवफा बेरहेम और बेदर्दी जाने क्यूँ तेरी याद आती है सूरमाई शाम के उजालो से आज भी लम्हें वो मोहब्बत के गर्म साँसों से लिपटे रहते है अब भी अरमान तेरी चाहत के महकी ज़ुल्फोन में सिमट रहते है तुझको भूले तो कैसे भूले हम बस यहीं सोच अब सताती है सूरमाई शाम के उजालो से जब भी सज-धज के रात आती है बेवफा बेरहेम और बेदर्दी जाने क्यूँ तेरी याद आती है सूरमाई शाम के उजालो से वो भी क्या दिन थे जब के हम दोनो मरने जीने का वादा करते थे जाम हो ज़हेर का या अमृत का साथ पीने का वादा करते थे ये भी क्या दिन है क्या क़यामत है घम तो घम है खुशी की खातिर है सूरमाई शाम के उजालो से जब भी सज-धज के रात आती है बेवफा बेरहेंमऔर बेदर्दी जाने क्यूँ तेरी याद आती है सूरमाई शाम के उजालो से