Woh Khat Ke Purze Udaa Raha Tha
Jagjit Singh
5:11एक पुराना मौसम लौटा एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी एसा तो कम ही होता है वो भी हों तनहाई भी एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं कितनी सौंधी लगती है तब कितनी सौंधी लगती है तब माज़ी की रुसवाई भी एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी दो दो शक़्लें दिखती हैं इस बहके से आईने में दो दो शक़्लें दिखती हैं इस बहके से आईने में मेरे साथ चला आया है मेरे साथ चला आया है आप का इक सौदाई भी एसा तो कम ही होता है वो भी हो तन्हाई भी ख़ामोशी का हासिल भी इक लम्बी सी ख़ामोशी है ख़ामोशी का हासिल भी इक लम्बी सी ख़ामोशी है उनकी बात सुनी भी हमने उनकी बात सुनी भी हमने अपनी बात सुनाई भी एसा तो कम ही होता है वो भी हो तन्हाई भी एक पुराना मौसम लौटा एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी