Din Kuch Aise Guzarta Hai Koi
Jagjit Singh
5:20ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तन्हा ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तन्हा काफ़िला साथ और सफ़र तन्हा ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तन्हा अपने साये से चौंक जाते हैं अपने साये से चौंक जाते हैं उम्र गुज़री है इस कदर तन्हा उम्र गुज़री है इस कदर तन्हा रात भर बोलते हैं सन्नाटे रात भर बोलते हैं सन्नाटे रात काटे कोई किधर तन्हा रात काटे कोई किधर तन्हा दिन गुज़रता नहीं है लोगों में दिन गुज़रता नहीं है लोगों में रात होती नहीं बसर तन्हा रात होती नहीं बसर तन्हा हमने दरवाज़े तक तो देखा था हमने दरवाज़े तक तो देखा था फिर न जाने गए किधर तन्हा फिर न जाने गए किधर तन्हा काफ़िला साथ और सफ़र तन्हा ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तन्हा