Rukh Se Parda
Jagjit Singh
5:50किस को कातिल मैं कहूँ किस को मसीहा समझूँ किस को कातिल मैं कहूँ किस को मसीहा समझूँ सब यहाँ दोस्त ही बैठ हैं किसे क्या समझूँ सब यहाँ दोस्त ही बैठ हैं किसे क्या समझूँ वो भी क्या दिन थे के हर वहम यकीं होता था वो भी क्या दिन थे के हर वहम यकीं होता था अब हक़ीकत नज़र आए तो उसे क्या समझूँ अब हक़ीकत नज़र आए तो उसे क्या समझूँ सब यहाँ दोस्त ही बैठ हैं किसे क्या समझूँ दिल जो टूटा तो कई हाथ दुआ को उठे दिल जो टूटा तो कई हाथ दुआ को उठे ऐसे माहौल में अब किस को पराया समझूँ ऐसे माहौल में अब किस को पराया समझूँ जुल्म ये है के है यक़्ता तेरी बेगानारवी जुल्म ये है के है यक़्ता तेरी बेगानारवी लुत्फ ये है के मैं अब तक तुझे अपना समझूँ लुत्फ ये हैं के मैं अब तक तुझे अपना समझूँ किस को कातिल मैं कहूँ किस को मसीहा समझूँ सब यहाँ दोस्त ही बैठ हैं किसे क्या समझूँ