Jay-Jaykara
Kailash Kher & Manoj Muntashir
3:32हुआ शंखनाद है, शस्त्र उठा कर आह! बन रण क्षेत्र तेरा है जब मोर व्यू में तू है घिरा बना लाल धरा, तू शौर्य दिखा जहाँ दुष्ट भी दिशा ताड़ रहा किल हृदय में गाड़ रहा घने अंधकार में तुम्हें झटा पार्थिवेदी से गतिरोध हटा चल बलवान, चसवान स्वांग भरा दुष्कर्म, अधर्म का है पहरा हर शत्रु अन्नर मूंद भरा ध्वज अपनी विजय का तू लहरा चले अपनी शिखा सा दशहरा उन माद, क्रोध का दशहरा यही पराव न्याय का दशहरा है लक्ष्य विजय का दशहरा राम हुए एक, प्रेता में इक रावण का संहार किया इस युग में सौ-सौ रावण फिर राम ने है अवतार लिया हुआ शंखनाद है, शस्त्र उठा कर आह! बन रण क्षेत्र तेरा जब मोर व्यू में तू है घिरा बना लाल धरा, तू शौर्य दिखा भेष बदल, नरका रावण (जहाँ दुष्ट भी दिशा ताड़ रहा) है लांघ रहा लक्ष्मण रेखा (किल हृदय में गाड़ रहा) हर युग में लूटती सीता ने (जहाँ दुष्ट भी दिशा ताड़ रहा) है राम तेरा रास्ता देखा (किल हृदय में गाड़ रहा) हुआ शंखनाद है, शस्त्र उठा कर आह! बन रण क्षेत्र तेरा जब मोर व्यू में तू है घिरा बना लाल धरा, तू शौर्य दिखा जब मोर व्यू में तू है घिरा बना लाल धरा, तू शौर्य दिखा इतना तू काम कर दे खेल तमाम कर दे अब तो इमाम कर दे दा इमाम, दा इमाम शीश गिरा दे धड़ से ताप बुझा दे धड़ से शत्रु मिटा दे जड़ से शत्रु मिटा, शत्रु मिटा पूछ रहा है, लक्ष्य प्रश्न ये पाप का मर्दन कब होगा टूट रहा है धैर्य राम का हसम दशानन अब होगा खौल रहा, आक्रोश रक्त में पाप दहन हो जावेगा रे तान दियो अब बाण राम ने रावण बच न पावेगा आ आ आ आ हुआ शंखनाद है, शस्त्र उठा कर आह! बन रण क्षेत्र तेरा है जब मोर व्यू में तू है घिरा बना लाल धरा, तू शौर्य दिखा जहाँ दुष्ट भी दिशा ताड़ रहा किल हृदय में गाड़ रहा घने अंधकार में तुम्हें झटा पार्थिवेदी से गतिरोध हटा चल बलवान, चसवान स्वांग भरा दुष्कर्म, अधर्म का है पहरा हर शत्रु अन्नर मूंद भरा ध्वज अपनी विजय का तू लहरा चले अपनी शिक्षा सा दशहरा उन माद, क्रोध का दशहरा यही पराव न्याय का दशहरा यही लक्ष्य विजय का दशहरा