Maharaja
Kavita Krishnamurthy
5:31जिन्हे इश्क मोहब्बत प्यार कहे वो रोग क्यू अच्छे लगते है जिन्हे इश्क मोहब्बत प्यार कहे वो रोग क्यू अच्छे लगते है जिन्हे इश्क मोहब्बत प्यार कहे वो रोग क्यू अच्छे लगते है जो दिल को बहुत तड़पाते है जो दिल को बहुत तड़पाते है वो लोग क्यू अच्छे लगते है ओ जिन्हे इश्क मोहब्बत प्यार कहे वो रोग क्यू अच्छे लगते है आँखे जुगनू बदन शरारा पानी मे भी तन अंगारा जब से तेरी लगन लगी है आ हम्म जाने कैसी आ अगन जगी है नूरानी है ये रूप मेरा पानी मे जैसे जलते है जो दिल को बहुत तड़पाते है वो लोग क्यू अच्छे लगते है ओ जिन्हे इश्क मोहब्बत प्यार कहे वो रोग क्यू अच्छे लगते है ये खामोशी ये तन्हाई उसपे जानम ये अंगड़ाई अब क्या कहना आ अब क्या सुनना आ तूही जाने हम्म क्या है करना दिलवाले तो इस आलम मे मासूम खतायें करते है जो दिल को बहुत तड़पाते है वो लोग क्यू अच्छे लगते है ओ जिन्हे इश्क मोहब्बत प्यार कहे वो रोग क्यू अच्छे लगते है जिन्हे इश्क मोहब्बत प्यार कहे वो रोग क्यू अच्छे लगते है वो लोग क्यू अच्छे लगते है वो लोग क्यू अच्छे लगते है