Mujhe Raat Din Bas
Sonu Nigam
5:08नाराज़ सवेरा है हर ओर अँधेरा है नाराज़ सवेरा है हर ओर अँधेरा है कोई किरण तो आये कहीं से आये आये नाराज़ सवेरा है हर ओर अँधेरा है कोई किरण तो आये कहीं से आये आये नाराज़ सवेरा है ज़िन्दगी तन्हाइओ का दर्द है नाम है हर ख़ुशी ढलती हुई दुःख भरी शाम है साँसों के ख़ज़ानो का ये वक़्त लूटेरा है कोई किरण तो आये कहीं से आये आये नाराज़ सवेरा है रात की खामोशियों में अनसुना शोर है खींचती बांधे बिना ही कौन सी ये डोर है बेजान सलखो ने मेरी रूह को घेरा है कोई किरण तो आये कहीं से आये आये नाराज़ सवेरा है वह मेरे बचपन का मौसम वह ज़माना खो गया मौत के साये में रह के बेजुबान मैं हो गया ज़ख्मों की ज़मीनों पे ज़ुलमो का बसेरा है कोई किरण तो आये कहीं से आये आये नाराज़ सवेरा है हर ओर अँधेरा है कोई किरण तो आये कहीं से आये आये आये आये