Yeh Mana Meri Jan Mohabbat

Yeh Mana Meri Jan Mohabbat

Mohammed Rafi, Balbir

Альбом: Hanste Zakhm
Длительность: 7:55
Год: 1972
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Текст песни

हाए तौबा तौबा ये जवानी ये जवानी का गुरूर
इश्क के सामने फिर भी सर झुकाना ही पड़ा
कैसा कहते थे न आएँगे
न आएँगे मगर दिल ने इस तरह पुकारा
तुम्हें आना ही पड़ा
ये माना मेरी जाँ मोहब्बत सजा है
ये माना मेरी जाँ मोहब्बत सजा है
मज़ा इसमें इतना मगर किसलिए है
मज़ा इसमें इतना मगर किसलिए है
वो इक बेकरारी जो अब तक इधर थी
वो ही बेकरारी उधर किसलिए है
अभी तक तो इधर थी उधर किसलिए है
किसलिए है  किसलिए है(हां)

हां ये माना मेरी जाँ मोहब्बत सजा है
मज़ा इसमें इतना मगर किसलिए है
मज़ा इसमें इतना मगर किसलिए है

बहलना न जाने, बदलना न जाने
तमन्ना मचल के संभालना न जाने
हा आ तमन्ना मचल के संभालना न जाने
बहलना न जाने, बदलना न जाने(आहा)
तमन्ना मचल के संभालना न जाने
ओ हो हो
बहलना न जाने, बदलना न जाने
तमन्ना मचल के संभालना न जाने
तमन्ना मचल के संभालना न जाने है
क़रीब और आओ कदम तो बढ़ाओ
झुका दूं ना मैं सर तो सर किसलिए है
झुका दूं ना मैं सर तो सर किसलिए है
हा ये माना मेरी जान मोहब्बत सज़ा है
मज़ा इसमें इतना मगर किसलिए है
मज़ा इसमें इतना मगर किसलिए है

नज़ारे भी देखे इशारे भी देखे
कई खूबसूरत सहारे भी देखे
कई खूबसूरत सहारे भी देखे
नज़ारे भी देखे इशारे भी देखे
कई खूबसूरत हा सहारे भी देखे
नाम क्या चीज़ है इज्जत क्या है
सोने चांदी की हक़ीक़त क्या है
लाख बहलाए कोई दौलत से
प्यार के सामने दौलत क्या है
हो हो नज़ारे भी देखे इशारे भी देखे
हाय कई खूबसूरत सहारे भी देखे
कई खूबसूरत सहारे भी देखे
जो मैखाने जाकर मैं सागर उठाऊं
तो फिर ये नशीली नज़र किसलिए है
तो फिर ये नशीली नज़र किसलिए है
हा ये माना मेरी जान मोहब्बत सज़ा है
मज़ा इसमें इतना मगर किसलिए है
मज़ा इसमें इतना मगर किसलिए है

तुम्ही ने संवारा तुम्ही ने सजाया
मेरे सूने दिल को तुम्ही ने बसाया
मेरे सूने दिल को तुम्ही ने बसाया
तुम्ही ने संवारा तुम्ही ने सजाया
मेरे सूने दिल को तुम्ही ने बसाया
जिस चमन से भी तुम गुज़र जाओ
हर कली पर निखर आ जाए
रूठ जो तो रूठ जाए ख़ुदा
और जो हंस दो तो बहार आ जाए
हो हो तुम्ही ने संवारा तुम्ही ने सजाया
हाय मेरे सूने दिल को तुम्ही ने बसाया
मेरे सूने दिल को तुम्ही ने बसाया
तुम्हारे क़दम से है घर में उजाला
अगर तुम नहीं तो ये घर किसलिए है
अगर तुम नहीं तो ये घर किसलिए है
हा ये माना मेरी जान मोहब्बत सज़ा है
मज़ा इसमें इतना मगर किसलिए है
वो एक बेक़रारी जो अब तक इधर थी
वो ही बेक़रारी उधर किसलिए है
वो ही बेक़रारी उधर किसलिए है