Jab Jab Baha Aayi Aur Phool
Mohammed Rafi
5:25ये शमा तो जली रौशनी के लिए इस शामा से कहीं आग लग जाए तो ये शमा क्या करे ये शमा तो जली रौशनी के लिए इस शामा से कहीं आग लग जाए तो ये शमा क्या करे ये हवा तो चली सांस ले हर कोई घर किसी का उजड़ जाए आंधी में तो ये हवा क्या करे चल के पूरब से ठंडी हवा आ गयी चल के पूरब से ठंडी हवा आ गयी उठ के पर्वत से काली घटा छा गयी ये घटा तो उठि प्यास सबकी बुझि आशियाँ पे किसी के गिरीं बिजलियां तो ये घाटा क्या करे ये शमा तो जली रौशनी के लिए ओ ओ हो ओ हो हो पूछता हूँ मैं सबसे कोई दे जवाब पूछता हूँ मैं सबसे कोई दे जवाब नाखुदा की भला क्या खता है जनाब नाखुदा ले के साहिल के जानिब चला डूब जाए सफीना जो मंझधार में तो नाखुदा क्या करे ये शमा तो जली रौशनी के लिए वो जो उलझन सी तेरे ख्यालों में है वो जो उलझन सी तेरे ख्यालों में है वो इशारा भी मेरे सवालों में है ये निगाह तो मिली देखने के लिए पर कहीं ये नज़र धोखा खा जाए तो तो ये निगाह क्या करे ये शमा तो जली रौशनी के लिए इस शमा से कहीं आग लग जाए तो ये शमा क्या करे हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म