Dil To Hai Dil
Neelam Dixit
मेहरबां लिखूँ हसीना लिखूँ या दिलरुबा लिखूँ हैरान हूँ के आपको इस खत में क्या लिखूँ ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर के तुम नाराज़ ना होना के तुम मेरी ज़िन्दगी हो के तुम मेरी बंदगी हो ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर के तुम नाराज़ ना होना के तुम मेरी ज़िन्दगी हो के तुम मेरी बंदगी हो तुझे मैं चाँद कहता था मगर उसमें भी दाग है तुझे मैं चाँद कहती था मगर उसमें भी दाग है तुझे सूरज मैं कहता था मगर उसमें भी आग है तुझे इतना ही कहता हूँ के मुझको तुमसे प्यार है तुमसे प्यार है तुमसे प्यार है ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर के तुम नाराज़ ना होना के तुम मेरी ज़िन्दगी हो के तुम मेरी बंदगी हो तुझे गंगा मैं समझूँ गी तुझे जमुना मैं समझूँगी तुझे गंगा मैं समझूँगा तुझे जमुना मैं समझूँगा तू दिल के पास है इतनी तुझे अपना मैं समझूँगी अगर मर जाऊँ रूह भटकेगी तेरे इंतजार में इंतजार में इंतजार में ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर के तुम नाराज़ ना होना के तुम मेरी ज़िन्दगी हो के तुम मेरी बंदगी हो ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर के तुम नाराज़ ना होना के तुम मेरी ज़िन्दगी हो के तुम मेरी बंदगी हो