Chandi Jaisa Rang (Live In India/1984)
Pankaj Udhas
6:43दोस्तों, अब मैं आपको वो ग़ज़ल सुनाने जा रहा हूँ जो मेरी बहुत ही मशहूर ग़ज़लों में से एक है ग़ज़ल से पहले एक क़ता अर्ज़ है जब चला है तो, मेरे साक़िया, यूँ जाम चले दिन चले, रात चले, सुबह चले, शाम चले कारोबार-ए-मय-ख़ाना तो बंद है, साक़ी तू निगाहों से पिला दे तो मेरा काम चले ये अलग बात है साक़ी कि मुझे होश नहीं ये अलग बात है साक़ी कि मुझे होश नहीं होश इतना है कि मैं तुझसे फ़रामोश नहीं ये अलग बात है साक़ी कि मुझे होश नहीं मैं तेरी मस्त-निगाही का भरम रख लूँगा मैं तेरी मस्त-निगाही का भरम रख लूँगा होश आए भी तो कह दूँगा, "मुझे होश नहीं" होश आए भी तो कह दूँगा, "मुझे होश नहीं" होश इतना है कि मैं तुझसे फ़रामोश नहीं ये अलग बात है साक़ी कि मुझे होश नहीं साक़ी, उलझन में हैं, ये क्या हुआ मय-ख़ाने में साक़ी, उलझन में हैं, ये क्या हुआ मय-ख़ाने में साक़ी, उलझन में हैं, ये क्या हुआ मय-ख़ाने में वो पिलाता है मुझे और उसे होश नहीं वो पिलाता है मुझे और उसे होश नहीं होश इतना है कि मैं तुझसे फ़रामोश नहीं ये अलग बात है साक़ी कि मुझे होश नहीं कभी उन मद-भरी आँखों से पिया था एक जाम कभी उन मद-भरी आँखों से पिया था एक जाम ...मद-भरी ...मद-भरी ...मद-भरी ...मद-भरी ...मद-भरी कभी उन मद-भरी आँखों से पिया था एक जाम आज तक होश नहीं, होश नहीं, होश नहीं आज तक होश नहीं, होश नहीं, होश नहीं होश इतना है कि मैं तुझसे फ़रामोश नहीं ये अलग बात है साक़ी कि मुझे होश नहीं ये अलग बात है साक़ी कि मुझे होश नहीं ...कि मुझे होश नहीं ...कि मुझे होश नहीं ...होश नहीं ...होश नहीं