Mulaqat
Prateek Kuhad
4:07ऐसी एक याद थी पास में बैठ के तुमने सिखाया कैसे मोहब्बत करूँ चादर में यूंही हाथ को थाम के तुमने बताया आँखों में कैसे रहूँ कुछ दिन ही बचे हैं जब तक दिल भरे हैं बाहों में रहो तुम धड़कन मेरी धुन है तन पे जो सियाही दिल में यूं मिला दी बाहों में रहो तुम धड़कन मेरी धुन है जुल्फों की ऊँध में ऐसा जोड़ है कैसे मैं बताऊँ क्या राज हो तुम शबनम है जैसी सांसों में नमी बह जाऊं मैं हो ऐसी आवाज़ तुम कुछ दिन ही बचे हैं जब तक दिल भरे हैं बाहों में रहो तुम धड़कन मेरी धुन है तन पे जो सियाही दिल में यूं मिला दी बाहों में रहो तुम धड़कन मेरी धुन है क्यों हैं फासले क्या नजर में इकरार काफी नहीं ऐसी एक याद थी पास में बैठ के तुमने सिखाया कैसे मोहब्बत करूँ कुछ दिन ही बचे हैं जब तक दिल भरे हैं बाहों में रहो तुम धड़कन मेरी धुन है तन पे जो सियाही दिल में यूं मिला दी बाहों में रहो तुम धड़कन मेरी धुन है