Sawaar Loon
Monali Thakur
4:15काग़ज़ के दो पंख लेके उड़ा चला जाए रे जहाँ नहीं जाना था, ये वहीं चला, हाय रे उमर का ये ताना-बाना समझ ना पाए रे ज़ुबाँ पे जो मोह-माया, नमक लगाए रे के देखे ना, भाले ना, जाने ना, दाए रे कैसा मूर्ख मन है! काग़ज़ के दो पंख लेके उड़ा चला जाए रे जहाँ नहीं जाना था, ये वहीं चला, हाय रे उमर का ये ताना-बाना समझ ना पाए रे ज़ुबाँ पे जो मोह-माया, नमक लगाए रे के देखे ना, भाले ना, जाने ना, दाए रे कैसा मूर्ख मन है! फ़तह करे किलें सारे, भेद जाए दीवारें प्रेम कोई सेंध लागे अगर-मगर, बारी-बारी, जिया को यूँ उछाले जिया नहीं गेंद लागे माटी को ये चंदन सा माथे पे सजाए रे ज़ुबाँ पे जो मोह-माया, नमक लगाए रे के देखे ना, भाले ना, जाने ना, दाए रे क्या बेवकूफ़ दिमाग है!