Woh Sham Kuchh Ajeeb Thi

Woh Sham Kuchh Ajeeb Thi

Tejinder Singh Bedi & Nita Parekh

Длительность: 4:51
Год: 2023
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Текст песни

वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है
वो कल भी पास-पास थी, वो आज भी करीब है (वो कल भी पास-पास थी, वो आज भी करीब है)
वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है (वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है)
वो कल भी पास-पास थी, वो आज भी करीब है (वो कल भी पास-पास थी, वो आज भी करीब है)
वो शाम कुछ अजीब थी (वो शाम कुछ अजीब थी)

झुकी हुई निगाह में कहीं मेरा ख़याल था
दबी-दबी हँसी में इक हसीन सा गुलाल था
मैं सोचता था मेरा नाम गुनगुना रही है वो
मैं सोचता था मेरा नाम गुनगुना रही है वो
न जाने क्यों लगा मुझे, के मुस्कुरा रही है वो
वो शाम कुछ अजीब थी

मेरा ख़याल है अभी झुकी हुई निगाह में (मेरा ख़याल है अभी झुकी हुई निगाह में)
खूली हुई हँसी भी है, दबी हुई सी चाह में (खूली हुई हँसी भी है, दबी हुई सी चाह में)
मैं जानता हूँ मेरा नाम गुनगुना रही है वो (मैं जानती हूँ मेरा नाम गुनगुना रहा है वो)
मैं जानता हूँ मेरा नाम गुनगुना रही है वो (मैं जानती हूँ मेरा नाम गुनगुना रहा है वो)
यही ख़याल है मुझे, के साथ आ रही है वो (यही ख़याल है मुझे, के साथ आ रहा है वो)
वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है (वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है)
वो कल भी पास-पास थी, वो आज भी करीब है (वो कल भी पास-पास थी, वो आज भी करीब है)
वो शाम कुछ अजीब थी (वो शाम कुछ अजीब थी)