Humne Suna Tha Ek Hai Bharat

Humne Suna Tha Ek Hai Bharat

Asha Bhosle, Sudha Malhotra, Mohammed Rafi

Альбом: Didi
Длительность: 4:29
Год: 1960
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Текст песни

हम ने सुना था एक है भारत
सब मुल्कों से नेक है भारत
लेकिन जब नज़दीक से देखा
सोच समझ कर ठीक से देखा
हम ने नक़्शे और ही पाए
बदले हुए सब तौर ही पाए
एक से एक की बात जुड़ा है
धर्म जुदा है ज़ात जुदा है
आप ने जो कुछ हम को पढ़ाया
वो तो कहीं भी नज़र ना आया

जो कुछ मैं ने तुम को पढ़ाया
उस मे कुछ भी झूठ नहीं
आशा से भाषा ना मिले तो
इस का मतलब फूट नहीं
इक डाली पर रह कर जैसे
फूल जुदा हैं पात जुदा
बुरा नहीं गर यून ही वतन में
धर्म जुदा हो ज़ात जुदा
अपने वतन में

वही है जब क़ुरान का कहना
जो है वेद पुरान का कहना
फिर यह शोर शराबा क्यूँ है
इतना खून ख़राबा क्यूँ है
अपने वतन में

सदियों तक इस देश में बच्चों
रही हुकूमत गैरों की
अभी तलाक़ हम सब के मुँह पर
धूल है उन के पैरों की
लडवाओ और राज करो
यह उन लोगों की हिकमत थी
उन लोगों की चाल में आना
हम लोगों की ज़िल्लत थी
यह जो बैर है इक दूजे से
यह जो फुट और रंजिश है
उन्हीं विदेशी आकाओं की
सोची समझी बखशीश है
अपने वतन में

कुछ इंसान ब्राह्मण क्यूँ हैं
कुछ इंसान हरिजन क्यूँ हैं

एक की इतनी इज़्ज़त क्यूँ है
एक की इतनी ज़िल्लत क्यूँ है

धन और ज्ञान को
ताक़त वालों ने अपनी जागीर कहा
मेहनत और गुलामी को
कमज़ोरों की तक़दीर कहा
इंसानों का यह बटवारा
वहशत और जहालत है
जो नफ़रत की शिक्षा दे
वो धर्म नहीं है लानत है
जन्म से कोई नीच नहीं है
जन्म से कोई महान नहीं
करम से बढ़ कर किसी मनुष्या की
कोई भी पहचान नहीं

अब तो देश में आज़ादी है
अब क्यूँ जनता फरियादी है
कब जाएगा दौर पुराना
कब आएगा नया ज़माना

सदियों की भूख और बेकारी
क्या इक दिन में जाएगी
इस उजड़े गुलशन पर रंगत
आते आते आएगी
सदियों की भूख और बेकारी
क्या इक दिन में जाएगी
इस उजड़े गुलशन पर रंगत
आते आते आएगी
ये जो नये मनसूबे है ये जो नई तामीरे है
आने वाली दौर की कुछ धुधली -धुधली तस्वीरे है
तुम ही रंग भरोगे इनमें तुम ही इन्हें चमकाओगे
नवयुग आप नहीं आएगा
नवयुग आप नहीं आएगा
नवयुग को तुम लाओगे