Duniya Mein Kitna Gham Hai

Duniya Mein Kitna Gham Hai

Mohammed Aziz

Длительность: 6:02
Год: 1979
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Текст песни

Mmm, दुनिया में कितना ग़म है, मेरा ग़म कितना कम है
दुनिया में कितना ग़म है, मेरा ग़म कितना कम है
लोगों का ग़म देखा तो मैं अपना ग़म भूल गया

दुनिया में कितना ग़म है, मेरा ग़म कितना कम है
लोगों का ग़म देखा तो मैं अपना ग़म भूल गया
दुनिया में कितना ग़म है, मेरा ग़म कितना कम है

कोई एक हज़ारों में शायद ही ख़ुश होता है
कोई किसी को रोता है, कोई किसी को रोता है
कोई किसी को रोता है, कोई किसी को रोता है

घर-घर में ये मातम है, मेरा ग़म कितना कम है
दुनिया में कितना ग़म है, मेरा ग़म कितना कम है

इसका है रंग-रूप यही, इसको "जीवन" कहते हैं
कभी हँसी आ जाती है, कभी ये आँसू बहते हैं
कभी हँसी आ जाती है, कभी ये आँसू बहते हैं

दुख-सुख का ये संगम है, मेरा ग़म कितना कम है
दुनिया में कितना ग़म है, मेरा ग़म कितना कम है
लोगों का ग़म देखा तो मैं अपना ग़म भूल गया
दुनिया में कितना ग़म है, मेरा ग़म कितना कम है

सब के दिल में शोले हैं, सब की आँख में पानी है
जिसको देखो उसके पास इक दुख-भरी कहानी है
जिसको देखो उसके पास इक दुख-भरी कहानी है

Hmm, दुखिया सारा आलम है, मेरा ग़म कितना कम है
दुनिया में कितना ग़म है, मेरा ग़म कितना कम है
लोगों का ग़म देखा तो मैं अपना ग़म भूल गया
दुनिया में कितना ग़म है, मेरा ग़म कितना कम है